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धारा 370 और 35a क्या है

जम्मू-कश्मीर राज्य का जिक्र आता था तो धारा 370 और 35a की बात जरूर आती थी।

धारा 370 और 35a क्या है : साल 2019 से पहले तक जब भी कभी जम्मू-कश्मीर राज्य का जिक्र आता था तो धारा 370 और 35a की बात जरूर आती थी। संविधान की ये दोनों धाराएं उसे राज्य को कई प्रकार के विशेष अधिकार प्रदान करती थी, जिसके चलते वह राज्य लगभग एक स्वतंत्र देश की तरह काम करता था। उस राज्य में भारतीय संसद की शक्तियां बहुत ही कम थी और सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मान्य नहीं था। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की धारा 370 और 35a क्या है।

धारा 370 और 35a क्या है

दरअसल 26 जनवरी 1950 को लागू हुए भारतीय संविधान की धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य को एक विशेष दर्जा मिला हुआ था। यह कहा जा सकता है कि उस राज्य को एक विशेष प्रकार की स्वायत्तता मिली हुई थी, जिसके जरिए वह राज्य के रूप में भारत का अंग तो जरूर था, लेकिन उनको अधिकार लगभग एक देश की तरह मिले हुए थे।

इसके अलावा, संविधान की धारा 35a जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल को ‘स्थायी निवासी’ परिभाषित करने और उन नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था। यह धारा तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति से 14 मई 1954 को जारी किए गए राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया। उससे पहले तक यह धारा 370 का हिस्सा हुआ करता है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार देने के लिए धारा 370 और 35a दोनों का विशेष महत्व था।

धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को कौन-कौन से विशेषाधिकार मिले थे ?

धारा 370 के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य को कुछ विशेष अधिकार मिले हुए थे। इस धारा के प्रावधानों अनुसार भारतीय संसद को सिर्फ जम्मू-कश्मीर राज्य की रक्षा, विदेशी मामले और संचार से संबंधित कानून बनाने और उसको लागू करने का ही अधिकार प्राप्त था, जबकि अन्य कानूनों को बनाने या लागू करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी लेनी आवश्यक थी। इसी के चलते वहाँ पर आरक्षण सहित कई सुविधाएं लागू नहीं हो पाती थी।

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जम्मू कश्मीर राज्य को मिले विशेष दर्जे के चलते उन पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं हो पता था, जो राष्ट्रपति को किसी राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार देता है। इसके साथ ही साथ, 1976 में लागू हुआ शहरी भूमि कानून भी यहाँ पर लागू नहीं होता था। यह कानून देश के किसी भी नागरिक को किसी भी राज्य में भूमि खरीदने की अनुमति देता था। इस राज्य में धारा 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लगाने का अधिकार भी लागू नहीं होता था।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता था, जबकि भारत के अन्य राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता है। कल मिला-जुला कर यह कहा जा सकता है कि जम्मू कश्मीर राज्य को धारा 370 के चलते कई ऐसे विशेष अधिकार थे जो उन्हें भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाते थे।

धारा 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य की जनता को कौन-कौन से विशेषाधिकार मिले थे ?

धारा 370 के तहत जम्मू कश्मीर राज्य की जनता को भी कुछ विशेष अधिकार मिले हुए थे। इस विशेष अधिकार के अनुसार यहां पर सूचना का अधिकार यानी आरटीई लागू नहीं हुआ था। इसके साथ ही साथ CAG जैसा कानून भी यहां पर कभी लागू नहीं हो सका था। जम्मू कश्मीर राज्य के निवासियों को दोहरी नागरिकता मिलती थी।

यानी यदि उस राज्य की कोई महिला अन्य राज्य में विवाह कर ले तो उसकी राज्य की नागरिकता समाप्त हो जाती थी, जबकि पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह करने पर उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता नहीं जाती थी। हालांकि, भारत के अन्य राज्यों के नागरिकों के लिए एकल नागरिकता का प्रावधान है।

इतना ही नहीं उस राज्य का अलग राष्ट्रध्वज भी था। इसके साथ ही साथ उस राज्य में भारत के राष्ट्रध्वज और राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करना अपराध नहीं माना जाता था। इसके साथ ही साथ, जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए वहाँ के उच्च-न्यायालय का आदेश सर्वोपरि था। उस राज्य में निवासियों या सरकार के ऊपर सर्वोच्च न्यायालय का उदेश्य मान्य नहीं था। यह राज्य एक प्रकार से एक स्वतंत्र देश की तरह कार्य करता था और यहां पर भारतीय संसद के अधिकार काफी कम थे।

धारा 35a क्या है?

धारा 35a को भारतीय संविधान में 14 मई 1954 को जोड़ा गया था। इस धारा के प्रावधानों के अनुसार इस तारीख से पहले जो भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में रहता था वह खुद-ब-खुद राज्य का स्थायी निवासी माना जाने लगा था। यहाँ का स्थायी निवासी ही इस राज्य में जमीन खरीद सकता था, अन्य राज्य के लोगों को इसकी इजाजत नहीं थी।

इसके साथ ही साथ, अन्य राज्य के लोग वहाँ नौकरियों के लिए या विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए आवेदन नहीं कर सकते थे और साथ ही साथ राज्य सरकार से कोई वित्तीय सहायता नहीं प्राप्त कर सकते थे। इतना ही नहीं, पहले वहाँ राज्यपाल और मुख्यमंत्री की जगह सदर-ए-रियासत और प्रधानमंत्री हुआ करते थे। हालांकि, 1965 में इसमें बदलाव हुआ था।

FAQ

आर्टिकल 370 हटाने से क्या होता है?

आर्टिकल 370 हटाने से जम्मू कश्मीर में भी संविधान के सभी कानून लागू हो गए जो भारत के हर राज्य में सभी नागरिकों के लिए लागू थे।

धारा 370 कब और किसने लगाई थी?

धारा 370 भारत के राष्ट्रपति द्वारा 14 में 1954 में लगाई गई थी।

धारा 370 कौन-कौन से राज्य में है?

धारा 370 जम्मू और कश्मीर राज्य में है।

370 को कैसे हटाया गया?

धारा 370 को भारतीय संसद में प्रस्ताव पारित करके हटाया गया ।

निष्कर्ष

आप सभी लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से धारा 370 और 35a क्या है से जुड़ी सभी पूरी इनफार्मेशन मिल चुकी होगी। अगर आप ऐसे ही एजुकेशन के रिलेटेड और इनफॉरमेशन पाना चाहते हैं तो आप हिंदी न्यूज वेबसाइट को बुकमार्क जरूर करें।

Vaibhav

मैं वैभव प्रताप, लखनऊ का रहने वाला हूं। मैं पिछले 3 साल से स्पोर्ट रिलेटेड अलग-अलग वेबसाइटों के लिए काम कर रहा हूं। अभी तक हमने 10+ मल्टीनेशनल न्यूज़ वेबसाइट के लिए आर्टिकल राइटिंग का काम किया है। मुझे न्यूज़ के रिलेटेड वेबसाइट पर काम करना बहुत ही अधिक पसंद है। हमने खास तौर पर न्यूज वेबसाइट के लिए एंटरटेनमेंट न्यूज़ खेल न्यूज़ हेल्थ न्यूज राजनीति न्यूज़ बिज़नस न्यूज़ टेक्नोलॉजी फाइनेंस जैसे न्यूज़ पर आर्टिकल लिखना बहुत ही अधिक पसंद है।। अब मैं भारत हिंदी न्यूज वेबसाइट के लिए क्रिकेट के रिलेटेड आर्टिकल लिखता हूं।

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